मैं जब भी स्मृतियों में डूबता हूं तब मैं स्वंय को उस दुनिया मे देखता हूँ जहाँ मेरे ह्रदय में तुम्हारे लिए अपार प्रेम है और ये सत्य भी है पर मन में एक टीस आज भी है,तुम्हारा मुझे ना समझ पाना,ना जाने वो कौन सी परिस्थितियाँ थी जो मुझे तुमसे दूर ले गई,जो आज मुझे यू तन्हा जीना पड रहा है,खैर!… स्मृतियां किसी विष के समान ही है जिससे मौत तो आती है पर मुक्ति नही मिलती…!