I had so much to say to him. So much had to be accomplished with him. It seemed as if everything was swept away suddenly. Far from supporting me in that flow, he did not even realize that I was drowning in the flood. He saved his life with the help of a rope. but
I started flowing into the nearby river. My body was flowing. Some crows were scratching my eyes. Some vultures had satisfied their hunger from my heart. Insects started destroying me. My brains started appearing. One of my eyes started floating in water. Now he started seeing something. Everything looked the same as when I was alive; It was visible then.
She was wearing anklets on her feet, henna all over her body and a mangtika of flowers on her head. There were flowers hanging in his arms also. There was so much noise around him that my scream could not reach him. She started moving in her air with someone else. He may have drowned many people in future also. But now I have become fond of insects.
My body was rotting on the shore, some dogs and foxes were eating me. The smell of that body started flowing far and wide. Whenever people crossed, they used to spit. I was not a helpless and abandoned corpse, but merely the flesh of a body deliberately left to die by someone.
Had she wanted, I could have been saved, but even without wanting, she taught me a lesson…that you were killed even after loving and I am traveling to the galaxies even after deceiving.
कितना कुछ कहना था उससे। कितना कुछ निभाना था उसके साथ। सब कुछ मानो एकाएक बह गया। उसने उस बहाव में मेरा सहारा देना तो दूर, उसे इस बात का इल्म भी न हुआ कि मैं बाढ़ में डूब रहा हूँ। उसने एक रस्सी के सहारे अपनी जिंदगी बचा ली। परन्तु
मैं बहता हुआ पास वाली नदी में आ गया। मेरी लाश बह रही थी। कुछ कौवे मेरी आँखों को नोच रहे थे। कुछ गिद्ध मेरे हृदय से अपना भूख मिटा चुके थे। कीड़े, मकोड़ों ने मुझे नष्ट करना शुरू कर दिया। मेरे मस्तिष्क बाहर दिखने लगे। मेरी एक आँख पानी मे तैरने लगा। उसे अब कुछ दिखने लगा। सब कुछ वैसा ही दिख रहा था जैसे मैं जिंदा था; तब दिखता था।
उसने पैरों में पायल पहन रखा था, पूरी शरीर मे मेहँदी थी और सर पर फूलों का मांगटीका था। उसके बाहों में भी फूल टँगे थे। उसके चारों ओर इतनी शोर थी कि मेरी चीख़ उस तक नहीं पहुँच पाई। वह अपनी हवा में किसी और क साथ विचरण करने लगी। आगे भी उसने कईयों को डुबाया होगा। परन्तु मैं तो अब कीड़ो-मकोड़ो का प्यारा हो गया हूँ।
मेरी शरीर किनारे पर गल रही थी, कुछ कुत्ते और लोमड़ी मुझे खा रहे थे। उस बदन की बबदु दूर दूर तक बहने लगी। लोग जब भी पार होते, थूक देते थे। मैं कोई लाचार और लावारिस लाश नही था परन्तु किसी के जान बूझ कर मरने के लिए छोड़ दिया एक शरीर का माँस मात्र था।
वह चाहती तो मैं बचा जा सकता था, पर न चाह कर भी उसने मुझे एक सीख देदी…की तुम प्रेम करके भी मारे गए और मैं छल करके भी आकाशगंगाओं की सैर कर रही हूँ।
তাকে আমার অনেক কিছু বলার ছিল। তাকে দিয়ে অনেক কিছু অর্জন করতে হয়েছিল। মনে হচ্ছিল যেন সব ভেসে গেল হঠাৎ। সেই প্রবাহে আমাকে সমর্থন করা তো দূরের কথা, আমি যে বন্যায় ডুবে যাচ্ছি সে টেরও পায়নি। দড়ির সাহায্যে প্রাণ বাঁচান তিনি। কিন্তু
পাশের নদীতে বয়ে যেতে লাগলাম। আমার শরীর বয়ে যাচ্ছিল। কিছু কাক আমার চোখ আঁচড়াচ্ছিল। কিছু শকুন আমার হৃদয় থেকে তাদের ক্ষুধা মিটিয়েছিল। পোকামাকড় আমাকে ধ্বংস করতে শুরু করে। আমার মস্তিস্ক দেখা দিতে শুরু করে। আমার একটা চোখ জলে ভাসতে লাগল। এবার সে কিছু দেখতে শুরু করল। আমি যখন জীবিত ছিলাম তখন সবকিছু একই রকম ছিল; তখন তা দৃশ্যমান ছিল।
তার পায়ে পায়ে পায়ের পাতা, সারা শরীরে মেহেদি আর মাথায় ফুলের মাঙ্গটিকা। তার বাহুতেও ফুল ঝুলছিল। তার চারপাশে এত শোরগোল ছিল যে আমার চিৎকার তার কাছে পৌঁছতে পারেনি। সে তার বাতাসে অন্য কারো সাথে চলাফেরা করতে লাগল। তিনি ভবিষ্যতেও অনেক মানুষকে ডুবিয়ে দিতে পারেন। কিন্তু এখন আমি পোকামাকড়ের শৌখিন হয়ে গেছি।
আমার শরীর তীরে পচে যাচ্ছিল, কিছু কুকুর আর শেয়াল আমাকে খেয়ে ফেলছিল। সেই লাশের গন্ধ দূর দূরান্তে বইতে লাগল। যখনই মানুষ পার হতেন তখনই থুতু দিত। আমি একটি অসহায় এবং পরিত্যক্ত মৃতদেহ ছিলাম না, শুধুমাত্র একটি শরীরের মাংস ইচ্ছাকৃতভাবে কারো দ্বারা মরার জন্য রেখেছিলাম।
সে চাইলে আমি বাঁচাতে পারতাম, কিন্তু না চাইলেও সে আমাকে একটা শিক্ষা দিয়েছিল… যে প্রেম করেও তুমি খুন হয়েছ আর আমি প্রতারণা করেও ছায়াপথে ভ্রমণ করছি।